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"पद / 1 / गिरिराज कुवँरि" के अवतरणों में अंतर

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अद्भुत रचाय दियो खेल देखो अलबेली की बतियाँ।
 
अद्भुत रचाय दियो खेल देखो अलबेली की बतियाँ।
कहुँ जल कहुँ थल गिरि कहूँ कहँू कहँू वृक्ष कहँु बेल॥
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कहुँ जल कहुँ थल गिरि कहूँ कहूँ कहूँ वृक्ष कहूँ बेल॥
कहूँ नाश दिखराय परत है कहँू रार कहूँ मेल।
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कहूँ नाश दिखराय परत है कहूँ रार कहूँ मेल।
 
सब के भीतर सब के बाहर सब मैं करत कुलेल॥
 
सब के भीतर सब के बाहर सब मैं करत कुलेल॥
 
सब के घट में आप बिराजौ ज्यों तिल भीतर तेल।
 
सब के घट में आप बिराजौ ज्यों तिल भीतर तेल।
 
श्री ब्रजराज तुही अल बेला सब में रेला पेल॥
 
श्री ब्रजराज तुही अल बेला सब में रेला पेल॥
 
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15:18, 19 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

अद्भुत रचाय दियो खेल देखो अलबेली की बतियाँ।
कहुँ जल कहुँ थल गिरि कहूँ कहूँ कहूँ वृक्ष कहूँ बेल॥
कहूँ नाश दिखराय परत है कहूँ रार कहूँ मेल।
सब के भीतर सब के बाहर सब मैं करत कुलेल॥
सब के घट में आप बिराजौ ज्यों तिल भीतर तेल।
श्री ब्रजराज तुही अल बेला सब में रेला पेल॥