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"सीखने से दिल को कुछ मतलब नहीं / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'" के अवतरणों में अंतर

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20:05, 26 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

सीखने से दिल को कुछ मतलब नहीं
दिल की दुनिया है कोई मकतब नहीं

दूर मुझसे तेरी रहमत रब नहीं
और कुछ दरकार मुझको अब नहीं

नींव के पत्थर खिसकने लग गये
कुछ इमारत का भरोसा अब नहीं

हो चुके हैं काम पूरे ज़ीस्त के
अब मेरे जीने का कुछ मतलब नहीं

झूठ का है बोल बाला आजकल
सच के साथी तो हैं पर सब नहीं

आंख ने कुछ बिन कहे ही कह दिया
आंख कह सकती है जो वो लब नहीं

क्यों कोई मेरे लिए बेताब हो
अब किसी को मुझसे कुछ मतलब नहीं

इंसानियत इंसान की पहचान है
आदमीयत का कोई मतलब नहीं।