भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हम को वो अपनी तमन्ना नहीं होने देते / अनु जसरोटिया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनु जसरोटिया |अनुवादक= |संग्रह=ख़...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:35, 30 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
हम को वो अपनी तमन्ना नहीं होने देते
हम पे आंचल का भी साया नहीं होने देते
ये बुरे काम हैं इन्सां के जो अक्सर उसको
एक इन्सां से फ़रिश्ता नहीं होने देते
अश्क को पलकों ही में रोक लिया करते हैं
हम कभी क़तरे को दरिया नहीं होने देते
कुटिया वाले नहीं भाते हैं अमीरों को कभी
उन के सपनों को वो पूरा नहीं होने देते
साथ रखते हैं तेरी याद सजा कर इस में
अपने दिल को कभी तन्हा नहीं होने देते
कैसे बेदर्द हुआ करते हैं तूफ़ां अक्सर
पार दरिया के सफी़ना1 नहीं होने देते