भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दूर रहते हो क्यों भलाई से / अनु जसरोटिया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनु जसरोटिया |अनुवादक= |संग्रह=ख़...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:54, 30 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

दूर रहते हो क्यों भलाई से
प्यार क्यों है तुम्हें बुराई से

जिन से आशा वफा की थी हम को
पेश आयें हैं बे-वफाई से

हम ख़ुदा का ही ध्यान करते हैं
काम हम को नहीं ख़ुदाई से

उस के दर पर ही ड़ाल दें डेरा
काम होते हैं कुछ ढिटाई से

काश कोई बूरों को समझाए
क्या मिलेगा उन को बुराई से

ऐ ‘अनु’ अश्क-बार हैं सब ही
आंख नम हो गई विदाई से