भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"खेतों पर छाई हरियाली / अनु जसरोटिया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनु जसरोटिया |अनुवादक= |संग्रह=ख़...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:00, 30 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

खेतों पर छाई हरियाली
मौसम ने पहनी हरियाली

आंखों में ठण्डक सी उतरी
देख के जंगल की हरियाली

बच्चों की किलकारी सुन कर
जीवन में फैली हरियाली

वो आया बरसात का मौसम
पेड़ों पर उतरी हरियाली

ओढ़ी धरा ने धानी चुनरिया
हर जानिब फैली हरियाली

सूखी शाख़ें सोच रही हैं
हम पर भी आती हरियाली

गीत सदा ख़ुशियों के गाना
खेतों को कहती हरियाली

सिमटा जब से घर का आंगन
गमलों में पहुंची हरियाली

काश किसानों पर भी आती
धन दौलत रूपी हरियाली

देखें किस के घर जाती है
बन के दुल्हन निकली हरियाली

मन के इस सूने आंगन में
दो पल ही ठहरी हरियाली