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"बेटियाँ हैं तो ये संसार सुहाना लगता / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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बेटियाँ हैं तो ये खुशियों का ख़ज़ाना लगता
  
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बेटियाँ हैं तो घर में चहल पहल रौनक़ है
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बेटियों का तो हर इक लफ़्ज़ तराना लगता
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बेटियाँ तो पराया धन हैं चली जायेंगी
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आपका ये ख़याल बहुत पुराना लगता
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वक़्त के साथ लोग खु़़दबख़ुद बदल जाते
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सोच को किन्तु बदलने में ज़माना लगता
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बात बेटों की मानने में कोई देर नहीं
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बेटियों के लिए क्यों इतना बहाना लगता
 
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20:39, 30 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण

बेटियाँ हैं तो ये संसार सुहाना लगता
बेटियाँ हैं तो ये खुशियों का ख़ज़ाना लगता

बेटियाँ हैं तो घर में चहल पहल रौनक़ है
बेटियों का तो हर इक लफ़्ज़ तराना लगता

बेटियाँ तो पराया धन हैं चली जायेंगी
आपका ये ख़याल बहुत पुराना लगता

वक़्त के साथ लोग खु़़दबख़ुद बदल जाते
सोच को किन्तु बदलने में ज़माना लगता

बात बेटों की मानने में कोई देर नहीं
बेटियों के लिए क्यों इतना बहाना लगता