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"असफल हों या सफल हों, पर आस मर न जाये / डी.एम.मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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असफल हों या सफल हों, पर आस मर न जाये | असफल हों या सफल हों, पर आस मर न जाये | ||
− | हों | + | बेशक हों तृप्त लेकिन यह प्यास मर न जाये। |
− | लाखों हैं फूल खिलते, लाखों | + | लाखों हैं फूल खिलते, लाखों हैं रोज़ झरते |
− | यह | + | यह चक्र है नियति का मधुमास मर न जाये। |
− | फ़ितरत है | + | फ़ितरत है आदमी की छूना बुलंदियों को |
− | इतना | + | इतना ख़याल रखना एहसास मर न जाये। |
− | दुनिया का यह चलन है, दुनिया | + | दुनिया का यह चलन है, दुनिया चलेगी यूँ ही |
− | धोखे | + | धोखे हज़ार हों पर, विश्वास मर न जाये। |
− | क्या | + | क्या टूटने के डर से बनते नहीं खिलौने |
− | हम | + | हम तों मरें हमारा इतिहास मर न जाये। |
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14:16, 14 जनवरी 2019 के समय का अवतरण
असफल हों या सफल हों, पर आस मर न जाये
बेशक हों तृप्त लेकिन यह प्यास मर न जाये।
लाखों हैं फूल खिलते, लाखों हैं रोज़ झरते
यह चक्र है नियति का मधुमास मर न जाये।
फ़ितरत है आदमी की छूना बुलंदियों को
इतना ख़याल रखना एहसास मर न जाये।
दुनिया का यह चलन है, दुनिया चलेगी यूँ ही
धोखे हज़ार हों पर, विश्वास मर न जाये।
क्या टूटने के डर से बनते नहीं खिलौने
हम तों मरें हमारा इतिहास मर न जाये।