भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सावन आया है / रामेश्वर नाथ मिश्र 'अनुरोध'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> बिजली...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:32, 15 जनवरी 2019 के समय का अवतरण
बिजली-सी कजली की धुन सुन,
विरहन-सी दुलहन तज ठनगन,
निकली आँगन में बनठन कर,
जाना जब ननदी का वीरन-
परदेसी पाहुन आया है;
अभी अभी सावन आया है।