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"बस प्यार तुम्हारा / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार='सज्जन' धर्मेन्द्र | |रचनाकार='सज्जन' धर्मेन्द्र | ||
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− | घूमूँगा बस प्यार तुम्हारा | + | घूमूँगा |
− | तन मन पर पहने | + | बस प्यार तुम्हारा |
+ | तन-मन पर पहने | ||
पड़े रहेंगे बंद कहीं पर | पड़े रहेंगे बंद कहीं पर | ||
शादी के गहने | शादी के गहने | ||
− | चिल्लाते हैं गाजे बाजे | + | चिल्लाते हैं गाजे-बाजे |
चीख रहे हैं बम | चीख रहे हैं बम | ||
− | जेनरेटर करता है बक बक | + | जेनरेटर करता है बक-बक |
नाच रही है रम | नाच रही है रम | ||
− | गली मुहल्ले मजबूरी में | + | गली-मुहल्ले |
+ | मजबूरी में | ||
लगे शोर सहने | लगे शोर सहने | ||
− | सब को | + | सब को ख़ुश रखने की ख़ातिर |
नींद चैन त्यागे | नींद चैन त्यागे | ||
देहरी, आँगन, छत, कमरे सब | देहरी, आँगन, छत, कमरे सब | ||
लगातार जागे | लगातार जागे | ||
− | कौन रुकेगा | + | कौन रुकेगा |
− | सुख दुख की कहने | + | दो दिन इनसे |
+ | सुख-दुख की कहने | ||
शालिग्राम जी सर पर बैठे | शालिग्राम जी सर पर बैठे | ||
पंक्ति 32: | पंक्ति 35: | ||
फिर क्यूँ इतना अंतर | फिर क्यूँ इतना अंतर | ||
− | मैं | + | मैं ख़ुश हूँ |
+ | यूँ ही आँखों से | ||
दर्द लगा बहने | दर्द लगा बहने | ||
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00:02, 21 जनवरी 2019 के समय का अवतरण
घूमूँगा
बस प्यार तुम्हारा
तन-मन पर पहने
पड़े रहेंगे बंद कहीं पर
शादी के गहने
चिल्लाते हैं गाजे-बाजे
चीख रहे हैं बम
जेनरेटर करता है बक-बक
नाच रही है रम
गली-मुहल्ले
मजबूरी में
लगे शोर सहने
सब को ख़ुश रखने की ख़ातिर
नींद चैन त्यागे
देहरी, आँगन, छत, कमरे सब
लगातार जागे
कौन रुकेगा
दो दिन इनसे
सुख-दुख की कहने
शालिग्राम जी सर पर बैठे
पैरों पड़ी महावर
दोनों ही उत्सव की शोभा
फिर क्यूँ इतना अंतर
मैं ख़ुश हूँ
यूँ ही आँखों से
दर्द लगा बहने