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"शाम अँधेरे / अनुक्रमणिका / नहा कर नही लौटा है बुद्ध" के अवतरणों में अंतर
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00:51, 22 जनवरी 2019 के समय का अवतरण
आदमी बढ़िया था
कभी न कभी तो उसे जाना ही था
कब तक झेल सकता है आदमी धरती का भार
धरती आदमी से बहुत बहुत बड़ी और भारी है
शाम अँधेरे अकसर आती है उसकी याद।