भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"छुट्टी का दिन / बुद्ध / नहा कर नही लौटा है बुद्ध" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाल्टू |अनुवादक= |संग्रह=नहा कर नह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:36, 22 जनवरी 2019 के समय का अवतरण


गर्म दाल चावल खाने की प्रबल इच्छा उँगलियों से चलकर होंठों से
होती हुई शरीर के सभी तन्त्रों में फैलती है।

यह उसकी मौत का दिन है।

एक साधारण दिन
जब खिड़की से कहीं बालटी में पानी भरे जाने की आवाज़ आ रही है।
सड़क पर गाड़ियों की तादाद और दिनों से कम है
कि याद आ जाए यह छुट्टी का दिन है।