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"भूदृश्य-3 / ये लहरें घेर लेती हैं / मधु शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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धँसा है आसमान
पर्वत के सीने पर चट्टानों में
धब्बे हैं मटमैले
पानी का सतरंगा मुख दरका है
यादों का
झाँक रहा खुल पड़ता
परतों से
चट्टानी इच्छा का।