भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सुख! क्यों / वाल्टर सेवेज लैंडर / तरुण त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वाल्टर सेवेज लैंडर |अनुवादक=तरुण...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
08:01, 31 जनवरी 2019 के समय का अवतरण
सुख! क्यों इस कदर उजाड़ते हो यह हृदय
इसकी उत्तुंग बेला में?
मैं उसे देख सकता था, मैं विदा ले सकता था
और लेकिन बस आह भर कर रह गया!
भटकने के, निहारने के, स्पर्श करने के
हर एक युवानी आकर्षण पर...
क्यों छीन लेते हो इतना सब कुछ,
या देते हो इतना सब कुछ?