भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शुद्धोधन कै होया नन्दलाल, नगर मै धूम माचगी भारी / ललित कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ललित कुमार (हरियाणवी कवि) |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=ललित कुमार (हरियाणवी कवि)  
 
|रचनाकार=ललित कुमार (हरियाणवी कवि)  
 
|अनुवादक=
 
|अनुवादक=
|संग्रह=
+
|संग्रह=सन्दीप कौशिक
 
}}
 
}}
 
{{KKCatHaryanaviRachna}}
 
{{KKCatHaryanaviRachna}}

12:17, 8 फ़रवरी 2019 के समय का अवतरण

शुद्धोधन कै होया नन्दलाल, नगर मै धूम माचगी भारी,
कंवर की कंचन कैसी काया, देखण आण लगे नर-नारी || टेक ||

भूप नै दुल्हन ज्यूँ सजाया नगर, निर्धन-कंग्लया मै बाँटया जर,
बुलाये पंडित-विद्वान् विप्र, जो थे ज्ञानी वेदाचारी ||

कँवर जणू कश्यप सुत भान, जिसकी अजब निराली शान,
जणू पैदा होगे खुद भगवान, भूप तेरै कलयुग के अवतारी ||

यो आठ पहर रटै राम, इसके सिद्ध होज्यांगे काम,
भूप सिद्धार्थ धरदे नाम, गात की होज्या दूर बीमारी ||

कंवर कै माथे मै भौर निशानी, पैर पदम यो बणै सैलानी,
गुरु जगदीश मिले ब्रह्ज्ञानी, ललित की शंका मेटी सारी ||