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"मझधार क्या / राधेश्याम प्रगल्भ" के अवतरणों में अंतर

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पानी जहाँ गहरा वहीं  
 
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तुम तीर को तरसा करो
 
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मेरे लिए मझधार क्या !
 
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13:40, 22 फ़रवरी 2019 के समय का अवतरण

सँघर्ष पथ पर चल दिया
फिर सोच और विचार क्या !

जो भी मिले स्वीकार है
वह जीत क्या, वह हार क्या !

संसार है सागर अगर
इस पार क्या, उस पार क्या !

पानी जहाँ गहरा वहीं
गोता लगाना है मुझे —

तुम तीर को तरसा करो
मेरे लिए मझधार क्या !