भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नेह के महावर / रामानुज त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामानुज त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:09, 28 फ़रवरी 2019 के समय का अवतरण

आओ चलें
सपनों के गांव में
प्रीति के घरोंदें बनाएं।

अनबौरी लाज
की अमराई में
छाई खामोशी टूट सके,
अनबूझी उसांसों
की पुरवाई
महकी महकी सुगन्ध लूट सके।

आओ चलें
पलकों की छांव में
काजल के पांवडे़ बिछाएं।

ठहरे रहेंगे
उलाहने
अबोल अंधेरों पर कब तक,
अब तो बस
चुपके से घोल दें
रीते कटोरे में आलक्तक

आओ चलें
थके-थके पांवों में
नेह के महावर रचाएं।