भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बिहान ना भइल / हरेश्वर राय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरेश्वर राय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 +
{{KKCatBhojpuriRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
 
आँख में रात बहुते सयान हो गइल  
 
आँख में रात बहुते सयान हो गइल  

14:25, 12 मार्च 2019 के समय का अवतरण

आँख में रात बहुते सयान हो गइल
हमार असरे में जिनिगी जिआन हो गइल I

दिल के दरिया में दर्दे के पानी रहल
देंह जइसे कि भुतहा मकान हो गइल I

आस के डोर टूटल कटल भाईजी
हमरा सपनों में कबहूँ बिहान ना भइल I

हमरा होंठ के बगानी में फूल ना खिलल
मन क चउरा क तुलसी झंवान हो गइल I

सऊँसे जिनिगी कटल उनका इंतजार में
मौत के राह बहुते आसान हो गइल I