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"सत्य की राह से जब भटकने लगे / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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11:02, 19 मार्च 2019 के समय का अवतरण

सत्य की राह से जब भटकने लगे
रात दिन श्याम का नाम रटने लगे

प्यार का साँवरे के नशा चढ़ गया
श्याम के नाम रस में बहकने लगे

खूब आतंक था बढ़ गया कंस का
गोप श्रीकृष्ण को वीर कहने लगे

साँवरे श्याम के शौर्य को देख कर
खाल में शत्रु अपनी सिमटने लगे

नाश चुन-चुन किया था अनाचार का
दीन हरि को सहारा समझने लगे