भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जहन्नुम बनी ज़िन्दगी आज क्यों है / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=शाम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:47, 19 मार्च 2019 के समय का अवतरण

जहन्नुम बनी ज़िन्दगी आज क्यों है
बुझी जा रही रौशनी आज क्यों है

न काँटों की दहशत ना लोगों की नफ़रत
कली मालियों से डरी आज क्यों है

जवां देश के मर रहे सरहदों पर
हुई भारती अनमनी आज क्यों है

यहाँ कौरवों की मची नाश-लीला
नहीं श्याम वंशी बजी आज क्यों है

कन्हैया उठो शंख फूंको समर का
लहू बूंद रग में जमी आज क्यों है