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"कठिन है बहुत ज़िन्दगी से निभाना / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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कठिन है बहुत ज़िन्दगी से निभाना
पड़ेगा मगर इस से नजरें मिलाना
बहुत दिन रहे गैर बन महफिलों में
अचानक हुआ दिल किसी का दिवाना
न सुध-बुध रही था नहीं होश कोई
चला प्रेम जादू किसी ने न जाना
बिना साँस के ज़िन्दगी कब रहेगी
इसी से ज़रूरी शज़र है लगाना
गगन भी सभी का धरा भी सभी की
पड़ेगा मगर आशियाना बनाना