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"बेकसों को सताने से क्या फ़ायदा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर

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फिर कोई गीत गाने से क्या फ़ायदा
 
फिर कोई गीत गाने से क्या फ़ायदा
  
दिल झुके तो इबादत में आए मज़ा
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है ज़रूरी इबादत में दिल भी झुके
बे-वजह सर झुकाने से क्या फ़ायदा
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बेसबब सर झुकाने से क्या फ़ायदा
  
दिल चुराया है तुमने मेरा ठीक है
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दिल चुरा ही लिया है ये तुमने तो फिर
 
अब ये नज़रें चुराने से क्या फ़ायदा
 
अब ये नज़रें चुराने से क्या फ़ायदा
  
जो भी दिल में है वह साफ़ कह दीजिये
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ज़ह्न में जो भी है साफ़ कह दीजिये
 
बात दिल में छुपाने से क्या फ़ायदा
 
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ऐसे आने न आने से क्या फ़ायदा
 
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उनसे कहियेगा इस उम्र में अब 'रक़ीब'
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उनसे कह दो कि आ जाएँ दिल में 'रक़ीब'
 
नाज़-नख़रे दिखाने से क्या फ़ायदा
 
नाज़-नख़रे दिखाने से क्या फ़ायदा
 
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17:51, 23 अप्रैल 2019 के समय का अवतरण


बेकसों को सताने से क्या फ़ायदा
दिल किसी का दुखाने से क्या फ़ायदा

साज़े-दिल के हैं सब तार टूटे हुए
फिर कोई गीत गाने से क्या फ़ायदा

है ज़रूरी इबादत में दिल भी झुके
बेसबब सर झुकाने से क्या फ़ायदा

दिल चुरा ही लिया है ये तुमने तो फिर
अब ये नज़रें चुराने से क्या फ़ायदा

ज़ह्न में जो भी है साफ़ कह दीजिये
बात दिल में छुपाने से क्या फ़ायदा

आते ही रट लगाई है जाने की बस
ऐसे आने न आने से क्या फ़ायदा

उनसे कह दो कि आ जाएँ दिल में 'रक़ीब'
नाज़-नख़रे दिखाने से क्या फ़ायदा