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"गर तुम्हें साथ मेरा गवारा नहीं / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
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गर तुम्हें साथ मेरा गवारा नहीं | गर तुम्हें साथ मेरा गवारा नहीं | ||
मासेवा एक के कोई चारा नहीं | मासेवा एक के कोई चारा नहीं | ||
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+ | बिन तुम्हारे मिरा अब गुज़ारा नहीं | ||
+ | ये समझ लो कोई और चारा नहीं | ||
जाने वाला कभी लौट आएगा ख़ुद | जाने वाला कभी लौट आएगा ख़ुद | ||
इसलिए मैंने उसको पुकारा नहीं | इसलिए मैंने उसको पुकारा नहीं | ||
− | क्यों ख़फ़ा हो गए क्या ख़ता है | + | क्यों ख़फ़ा हो गए क्या ख़ता है मिरी |
हक़ तुम्हारा कभी हमने मारा नहीं | हक़ तुम्हारा कभी हमने मारा नहीं | ||
− | हसरते दीद | + | हसरते-दीद दिल की, रही दिल में ही |
तू ने ज़ुल्फ़ों को अपनी संवारा नहीं | तू ने ज़ुल्फ़ों को अपनी संवारा नहीं | ||
− | ज़िन्दगी | + | बू-ए-गुल की तरह है मिरी ज़िन्दगी |
− | मेरी आहों में | + | मेरी आहों में हरगिज़ शरारा नहीं |
उसको ख़ुशियों की मंज़िल मुक़द्दर ने दी | उसको ख़ुशियों की मंज़िल मुक़द्दर ने दी | ||
− | + | मुश्किलों से जो इन्सान हारा नहीं | |
आज है कौन दुनिया में ऐसा 'रक़ीब' | आज है कौन दुनिया में ऐसा 'रक़ीब' | ||
गर्दिशे वक़्त ने जिसको मारा नहीं | गर्दिशे वक़्त ने जिसको मारा नहीं | ||
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17:57, 23 अप्रैल 2019 के समय का अवतरण
गर तुम्हें साथ मेरा गवारा नहीं
मासेवा एक के कोई चारा नहीं
बिन तुम्हारे मिरा अब गुज़ारा नहीं
ये समझ लो कोई और चारा नहीं
जाने वाला कभी लौट आएगा ख़ुद
इसलिए मैंने उसको पुकारा नहीं
क्यों ख़फ़ा हो गए क्या ख़ता है मिरी
हक़ तुम्हारा कभी हमने मारा नहीं
हसरते-दीद दिल की, रही दिल में ही
तू ने ज़ुल्फ़ों को अपनी संवारा नहीं
बू-ए-गुल की तरह है मिरी ज़िन्दगी
मेरी आहों में हरगिज़ शरारा नहीं
उसको ख़ुशियों की मंज़िल मुक़द्दर ने दी
मुश्किलों से जो इन्सान हारा नहीं
आज है कौन दुनिया में ऐसा 'रक़ीब'
गर्दिशे वक़्त ने जिसको मारा नहीं