"जोड़ै नया सोपान / ब्रह्मदेव कुमार" के अवतरणों में अंतर
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रह्मदेव कुमार |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRac...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
<poem> | <poem> | ||
जन-जन के मानस में गुँजै नाम भईया-बहिना। | जन-जन के मानस में गुँजै नाम भईया-बहिना। | ||
− | सम्पूर्ण साक्षरता | + | सम्पूर्ण साक्षरता अभियान। |
भारत में आधोॅ सें जादा, अनपढ़-निरक्षर बसै छै | भारत में आधोॅ सें जादा, अनपढ़-निरक्षर बसै छै | ||
दुनिया के लोग सिनी हमरा देखी-देखी हँसै छै। | दुनिया के लोग सिनी हमरा देखी-देखी हँसै छै। | ||
सोची केॅ देखोॅ, एकरोॅ एक्के निदान भईया-बहिना | सोची केॅ देखोॅ, एकरोॅ एक्के निदान भईया-बहिना | ||
− | सम्पूर्ण साक्षरता | + | सम्पूर्ण साक्षरता अभियान। |
भारत के गरिमा के महिमा, इतिहासोॅ में संचित छै | भारत के गरिमा के महिमा, इतिहासोॅ में संचित छै | ||
तैयाॅे भारतवासी सोचोॅ, ज्ञानोॅ सेॅ कैन्हें वंचित छै। | तैयाॅे भारतवासी सोचोॅ, ज्ञानोॅ सेॅ कैन्हें वंचित छै। | ||
एके उपाय छै करै के नव-निर्माण, भईया-बहिना | एके उपाय छै करै के नव-निर्माण, भईया-बहिना | ||
− | सम्पूर्ण साक्षरता | + | सम्पूर्ण साक्षरता अभियान। |
कहियो नै सोचलोॅ, नै पढ़ला नै, लिखला सें की हानि हो | कहियो नै सोचलोॅ, नै पढ़ला नै, लिखला सें की हानि हो | ||
पढ़लां-लिखलां तोरा मुरूख बनाय छों, करै छौं मनमानी हो। | पढ़लां-लिखलां तोरा मुरूख बनाय छों, करै छौं मनमानी हो। | ||
अँखिया खोलोॅ देखोॅ नया विहान, भईया-बहिना | अँखिया खोलोॅ देखोॅ नया विहान, भईया-बहिना | ||
− | सम्पूर्ण साक्षरता | + | सम्पूर्ण साक्षरता अभियान। |
पढ़ै-लिखै लेॅ सबसें पैन्हें, सीखोॅ अक्षर-ज्ञान हो | पढ़ै-लिखै लेॅ सबसें पैन्हें, सीखोॅ अक्षर-ज्ञान हो | ||
जोड़ै-तोड़ै लेॅ हिसाब करै लेॅ, सीखोॅ अंक ज्ञान हो। | जोड़ै-तोड़ै लेॅ हिसाब करै लेॅ, सीखोॅ अंक ज्ञान हो। | ||
ज्ञान-दीप जलाबोॅ, ज्ञान के खान भईया-बहिना | ज्ञान-दीप जलाबोॅ, ज्ञान के खान भईया-बहिना | ||
− | सम्पूर्ण साक्षरता | + | सम्पूर्ण साक्षरता अभियान। |
पढ़ी-लिखी केॅ, मिली-जुली केॅ, देशोॅ के करोॅ महान हो | पढ़ी-लिखी केॅ, मिली-जुली केॅ, देशोॅ के करोॅ महान हो | ||
लड़का-भईया, लड़की-बहिना, सब छै एक समान हो। | लड़का-भईया, लड़की-बहिना, सब छै एक समान हो। | ||
जीवन में जें जोड़ै नया सोपान, भईया-बहिना | जीवन में जें जोड़ै नया सोपान, भईया-बहिना | ||
− | सम्पूर्ण साक्षरता | + | सम्पूर्ण साक्षरता अभियान। |
</poem> | </poem> |
23:12, 2 मई 2019 के समय का अवतरण
जन-जन के मानस में गुँजै नाम भईया-बहिना।
सम्पूर्ण साक्षरता अभियान।
भारत में आधोॅ सें जादा, अनपढ़-निरक्षर बसै छै
दुनिया के लोग सिनी हमरा देखी-देखी हँसै छै।
सोची केॅ देखोॅ, एकरोॅ एक्के निदान भईया-बहिना
सम्पूर्ण साक्षरता अभियान।
भारत के गरिमा के महिमा, इतिहासोॅ में संचित छै
तैयाॅे भारतवासी सोचोॅ, ज्ञानोॅ सेॅ कैन्हें वंचित छै।
एके उपाय छै करै के नव-निर्माण, भईया-बहिना
सम्पूर्ण साक्षरता अभियान।
कहियो नै सोचलोॅ, नै पढ़ला नै, लिखला सें की हानि हो
पढ़लां-लिखलां तोरा मुरूख बनाय छों, करै छौं मनमानी हो।
अँखिया खोलोॅ देखोॅ नया विहान, भईया-बहिना
सम्पूर्ण साक्षरता अभियान।
पढ़ै-लिखै लेॅ सबसें पैन्हें, सीखोॅ अक्षर-ज्ञान हो
जोड़ै-तोड़ै लेॅ हिसाब करै लेॅ, सीखोॅ अंक ज्ञान हो।
ज्ञान-दीप जलाबोॅ, ज्ञान के खान भईया-बहिना
सम्पूर्ण साक्षरता अभियान।
पढ़ी-लिखी केॅ, मिली-जुली केॅ, देशोॅ के करोॅ महान हो
लड़का-भईया, लड़की-बहिना, सब छै एक समान हो।
जीवन में जें जोड़ै नया सोपान, भईया-बहिना
सम्पूर्ण साक्षरता अभियान।