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"जीवन के अनजाने पथ पर चलना तुम स्वीकार करो / मृदुला झा" के अवतरणों में अंतर
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20:32, 4 मई 2019 का अवतरण
दुख आये जब भी जीवन में हँसकर अंगीकार करो।
भूली बिसरी यादें ही जीने का संबल देती हैंए
अपने पौरूष के बल पर ही सपने सब साकार करो।
सच्चाईए अनुशासन को ही जीवन का आदर्श बनाए
सबके दुख को अपना कर तुम सबका बेड़ा पार करो।
रम्य मनोहर वसुधा को हरियाली से भर.भर कर हीए
अनगिन वृक्षों की रक्षा कर तुम उसका शृंगार करोए
सारे कलुषित भावों को उत्सर्ग करो गंगा जल मेंए
सबके मन में प्रेम जगा कर सबका बेड़ा पार करो।