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"कितना निर्मल है मन उसका / मृदुला झा" के अवतरणों में अंतर

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20:41, 4 मई 2019 के समय का अवतरण

हर दिन लगता पावन उसका।

यश वैभव बरसे नित आंगन,
कितना सुखमय जीवन उसका।

जगमग ज्योति में पौरूष की,
पल बीते मन भावन उसका।

वह जग में महिमा मंडित है,
गुण गाये जन-गण-मन उसका।

दीन-दुखी की सेवा कर के,
खिल उठता है तन-मन उसका।