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"इस बेहिसी के दौर में बस प्यार की तलाश है / मृदुला झा" के अवतरणों में अंतर

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इस बेहिसी के दौर में बस प्यार की तलाश है
 
बेनूर जिन्दगी को भी फनकार की तलाश है।
 
बेनूर जिन्दगी को भी फनकार की तलाश है।
  
जब वक्त था माँ.बाप का भूले थे हम निज धर्म कोए
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जब वक्त था माँ.बाप का भूले थे हम निज धर्म को
 
क्यों अपने बच्चों में हमें आधार की तलाश है।
 
क्यों अपने बच्चों में हमें आधार की तलाश है।
  
बेटा सदा आगे बढ़े कोशिश सदा करते रहेए
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बेटा सदा आगे बढ़े कोशिश सदा करते रहे
 
फिर बेटियों में क्यों हमें अधिकार की तलाश है।
 
फिर बेटियों में क्यों हमें अधिकार की तलाश है।
  
दुख दर्द में समाज से मुँह मोड़ हम बढ़ते गएए
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दुख दर्द में समाज से मुँह मोड़ हम बढ़ते गए
 
क्यों आज अपने दुख में यूँ सहकार की तलाश है।
 
क्यों आज अपने दुख में यूँ सहकार की तलाश है।
  
जीते सदा दुश्मन से हम प्रयास ऐसा हो ष्मृदुलश्ए
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जीते सदा दुश्मन से हम प्रयास ऐसा हो 'मृदुल'
 
क्यों आज देश में हमें जयकार की तलाश है।
 
क्यों आज देश में हमें जयकार की तलाश है।
 
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21:59, 4 मई 2019 के समय का अवतरण

इस बेहिसी के दौर में बस प्यार की तलाश है
बेनूर जिन्दगी को भी फनकार की तलाश है।

जब वक्त था माँ.बाप का भूले थे हम निज धर्म को
क्यों अपने बच्चों में हमें आधार की तलाश है।

बेटा सदा आगे बढ़े कोशिश सदा करते रहे
फिर बेटियों में क्यों हमें अधिकार की तलाश है।

दुख दर्द में समाज से मुँह मोड़ हम बढ़ते गए
क्यों आज अपने दुख में यूँ सहकार की तलाश है।

जीते सदा दुश्मन से हम प्रयास ऐसा हो 'मृदुल'
क्यों आज देश में हमें जयकार की तलाश है।