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+ | मरा है हास। | ||
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+ | चैन हराम। | ||
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+ | शहरी हुए | ||
+ | गाँव की यादें अब | ||
+ | आँखों से चुएँ। | ||
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+ | गाँव बेहाल | ||
+ | शहरी हवाओं ने | ||
+ | लूटा ईमान । | ||
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+ | सिर पे भार | ||
+ | लाँघे बीहड़ रास्ते | ||
+ | गाँव की नार । | ||
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07:28, 17 मई 2019 के समय का अवतरण
1
मचलें पाँव
कह रहे मन से
आ चलें गाँव।
2
कहता मन
गाँव रहे न गाँव
केवल भ्रम।
3
ली करवट
शहरीकरण ने
गाँव लापता।
4
मेले न ठेले
न खुशियों के रेले
गर्म हवाएँ।
5
वृक्ष न छाँव
नंगी पगडंडियाँ
जलाएँ पाँव।
6
शहरी ताप
चहुँ ओर विकास
मरा है हास।
7
बदले ग्राम
वाहनों के शोर से
चैन हराम।
8
शहरी हुए
गाँव की यादें अब
आँखों से चुएँ।
9
गाँव बेहाल
शहरी हवाओं ने
लूटा ईमान ।
10
सिर पे भार
लाँघे बीहड़ रास्ते
गाँव की नार ।