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+ | जमाए जड़ें। | ||
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+ | कितना मरे | ||
+ | हरी हो मुसकाए | ||
+ | जीवट घास। | ||
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+ | आँधी–तूफान | ||
+ | ज़ब्त न कर पाएँ | ||
+ | दूब– मुस्कान। | ||
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+ | चर रहा है | ||
+ | पल–पल मुझे क्यों | ||
+ | अंजाना डर। | ||
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+ | तुम जो मिले | ||
+ | जगी हैं बेचैनियाँ | ||
+ | कहो क्या करें! | ||
+ | 8 | ||
+ | मचली चाह | ||
+ | कल्पना में पगी है | ||
+ | प्यार की राह। | ||
+ | 8 | ||
+ | भीग गई मैं | ||
+ | सावन की झड़ी-सी | ||
+ | नेह तुम्हारा। | ||
+ | 10 | ||
+ | बातें तुम्हारी | ||
+ | घोल गईं साँसों में | ||
+ | ललिता छंद। | ||
+ | 11 | ||
+ | जलाए मन | ||
+ | सुधियों के अंगारे | ||
+ | सिराए कौन। | ||
+ | 12 | ||
+ | अपनापन | ||
+ | तनिक न खुशबू | ||
+ | निरा छलावा। | ||
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07:33, 17 मई 2019 के समय का अवतरण
1
पत्तियाँ स्पंदी
चाँदनी का कम्पन
हरता मन।
2
अमर होती
मर के घास बुने
चिड़िया नीड़।
3
साहसी घास
डाले न हथियार
जमाए जड़ें।
4
कितना मरे
हरी हो मुसकाए
जीवट घास।
5
आँधी–तूफान
ज़ब्त न कर पाएँ
दूब– मुस्कान।
6
चर रहा है
पल–पल मुझे क्यों
अंजाना डर।
7
तुम जो मिले
जगी हैं बेचैनियाँ
कहो क्या करें!
8
मचली चाह
कल्पना में पगी है
प्यार की राह।
8
भीग गई मैं
सावन की झड़ी-सी
नेह तुम्हारा।
10
बातें तुम्हारी
घोल गईं साँसों में
ललिता छंद।
11
जलाए मन
सुधियों के अंगारे
सिराए कौन।
12
अपनापन
तनिक न खुशबू
निरा छलावा।