भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वागाम्भृणी सूक्त, ऋग्वेद - 10 / 125 / 2 / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Kumar mukul (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक=कुमार मुकुल |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:41, 23 मई 2019 के समय का अवतरण
तन आउर मन के ठंडावे वोला
चंदा मामा के
हमहीं धारण करींला।
सूरूज देवता, वायु देवता आउर भग देवता के
हमहीं धारण करींला।
पाथर से पीस के
निकालल जाए वोला सोमरसो के
हमहीं धारण करींला।
यज्ञ के आयोजन करेवोला यजमानन के
हमहीं धन दिहींल॥2॥
अहं सोममाहनसं बिभर्म्यहं त्वष्टारमुत पूषणं भगम् ।
अहं दधामि द्रविणं हविष्मते सुप्राव्ये यजमानाय सुन्वते ॥2॥