भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रेशम री डोर / नीलम पारीक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीलम पारीक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:49, 25 जून 2019 के समय का अवतरण
एक
रेशम री डोर
बन्धी ही
थारे म्हारे बिचाले
टूट न जा कदे
सोचते ई लागतो डर
पर तू
डोर रो एक एक तार
अपने ई हाथां
धीरे धीरे
माँ ई माँ
निर्दयता सूं
अइयाँ
टूक टूक कर नाख्यो
के आज जद
तोड्यो आखिरी तार
तो दरद तो होयो
पर बितनो नई
जितनो सोच्यो हो
कोटि कोटि धिनबाद
थाने