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"चिट्ठी तुम्हारे नाम / विनय मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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23:44, 6 जुलाई 2019 के समय का अवतरण
लौट आई जो लिखी
चिट्ठी तुम्हारे नाम
लहरियों ने याद की
पकड़ी कलाई थी
खिंच गई तस्वीर
आंँखों में विदाई की
आंँख का तारा हुई है
वह सुनयना शाम
बोलने से यह लजीला
मौन घबराए
एक खालीपन कहांँ तक
घाव भर जाए
बंद हैं क्या इस सदी में
मौसमों के काम
वह न होकर भी अभी
इस वास्ते में है
कोई टूटा पुल अभी तक
रास्ते में है
देह सोती है मिला कब
साँस को आराम ।