भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उसने कहा / सुनीता शानू" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनीता शानू |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:37, 9 जुलाई 2019 के समय का अवतरण

उसने कहा दर्द बहुत है
जाने क्यों मैं भी
कराहती रही
न सोई न जागी
रात भर
दर्द को सहलाती रही
उसने कहा
ये दर्द
उसका अपना हो गया है
साथ सोता है
जागता है रात भर
मुझसे अधिक वही
रहता है उसके खयालों मे
हाँ ये दर्द
लगता है
अपनी हद पार कर गया
मेरी तमाम कोशिशें
मुझे मुँह चिढाती रही
बेदर्द तो है दर्द
बेवफ़ा भी हो जाता-काश- !
छटपटाता, करवट बदलता
जाने कैसे-कैसे मन को
मनाती रही
किन्तु
बहुत मुश्किल है दर्द का
बेवफ़ा हो जाना।