भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ओढ़ा दी चूनर / सुनीता शानू" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनीता शानू |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:46, 9 जुलाई 2019 के समय का अवतरण

लो छुप गया
चाँद भी अब
चाँदनी के गेसुओं में
महक उठी
रात की रानी
मचल उठा भँवर भी
पंखुडियों में-
खिल गई जब
कलियाँ दीवानी
सनन-सनन
बह चली पवन भी
वादियों में-।

देखो सितारों ने उढ़ा दी
जगमगाती चूनर
ओस की बूँदों पर
तस्वीर कोई दिखने लगी
शरमा कर चाँद से
चाँदनी दूर छिटकने लगी

सुबह-सुबह
पहली किरण ने
ओस की बूँदों से पूछा
दे रहे हैं ये नजारे
किसकी गवाही
कौन उतरा आसमां से
इस जमीं पर
या उढ़ा दी...
रात को
परियों ने अपनी चुनर...