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"माँ है रेशम के कारख़ाने में / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर
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खिड़कियाँ होंगी बैंक की रौशन | खिड़कियाँ होंगी बैंक की रौशन | ||
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यह जो नन्हा है भोला-भाला है | यह जो नन्हा है भोला-भाला है |
19:48, 14 जुलाई 2019 के समय का अवतरण
माँ है रेशम के कारख़ाने में
बाप मसरूफ़ सूती मिल में है
कोख से माँ की जब से निकला है
बच्चा खोली के काले दिल में है
जब यहाँ से निकल के जाएगा
कारख़ानों के काम आएगा
अपने मजबूर पेट की ख़ातिर
भूक सरमाये की बढ़ाएगा
हाथ सोने के फूल उगलेंगे
जिस्म चान्दी का धन लुटाएगा
खिड़कियाँ होंगी बैंक की रौशन
खून इसका दिये जलाएगा
यह जो नन्हा है भोला-भाला है
खूनी सरमाये का निवाला है
पूछती है यह, इसकी ख़ामोशी
कोई मुझको बचाने वाला है !