भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सच तेरा अभियुक्त नहीं हूँ!
इंगित करता दारुण बिछुड़न घुलमिल पास-पास है रहना
पियराते ही जोत प्रीत की
दर्द सर्द पड़ता है सहना
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,536
edits