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"प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह / गोपालदास "नीरज"" के अवतरणों में अंतर
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− | याद आएंगे प्रथम प्यार के चुम्बन की | + | याद आएंगे प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह। |
− | ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उनकी गली में मेरा | + | ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उनकी गली में मेरा, |
− | जाने शरमाए वो क्यों गांव की दुल्हन की | + | जाने शरमाए वो क्यों गांव की दुल्हन की तरह। |
− | कोई कंघी न मिली जिससे सुलझ पाती वो | + | कोई कंघी न मिली जिससे सुलझ पाती वो, |
− | + | ज़िन्दगी उलझी रही ब्रह्म के दर्शन की तरह। | |
− | + | दाग़ मुझमें है कि तुझमें यह पता तब होगा, | |
− | मौत जब आएगी कपड़े लिए धोबन की | + | मौत जब आएगी कपड़े लिए धोबन की तरह। |
− | हर किसी | + | हर किसी शख़्स की किस्मत का यही है किस्सा, |
− | आए राजा की तरह ,जाए वो निर्धन की | + | आए राजा की तरह ,जाए वो निर्धन की तरह। |
− | जिसमें इन्सान के दिल की न हो धड़कन की नीरज ' | + | जिसमें इन्सान के दिल की न हो धड़कन की 'नीरज', |
− | शायरी तो है वह | + | शायरी तो है वह अख़बार की कतरन की तरह।</poem> |
18:20, 29 जुलाई 2019 के समय का अवतरण
जब चले जाएंगे लौट के सावन की तरह,
याद आएंगे प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह।
ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उनकी गली में मेरा,
जाने शरमाए वो क्यों गांव की दुल्हन की तरह।
कोई कंघी न मिली जिससे सुलझ पाती वो,
ज़िन्दगी उलझी रही ब्रह्म के दर्शन की तरह।
दाग़ मुझमें है कि तुझमें यह पता तब होगा,
मौत जब आएगी कपड़े लिए धोबन की तरह।
हर किसी शख़्स की किस्मत का यही है किस्सा,
आए राजा की तरह ,जाए वो निर्धन की तरह।
जिसमें इन्सान के दिल की न हो धड़कन की 'नीरज',
शायरी तो है वह अख़बार की कतरन की तरह।