"इश्क़ में कौन मरता है! / नवीन रांगियाल" के अवतरणों में अंतर
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14:19, 7 अगस्त 2019 के समय का अवतरण
धरमपेठ के अपने सौदें हैं
भीड़ के सर पर खड़ी रहती है सीताबर्डी
कहीं अदृश्य है
रामदास की पेठ
बगैर आवाज के रेंगता है
शहीद गोवारी पुल
अपनी ही चालबाज़ियों में
ज़ब्त हैं इसकी सड़कें
धूप अपनी जगह छोड़कर
अंधेरों में घिर जाती हैं
घरों से चिपकी हैं उदास खिड़कियाँ
यहां छतों पर कोई नहीं आता
ख़ाली आँखों से
ख़ुद को घूरता है शहर
उमस से चिपचिपाए
चोरी के चुंबन
अंबाझरी के हिस्से हैं
यहाँ कोई मरता नहीं
डूबकर इश्क़ में
दीवारों से सटकर खड़े साये
खरोंच कर सिमेट्री पर नाम लिख देते हैं
जैस्मिन विल बी योर्स
ऑलवेज़
एंड फ़ॉरएवर ...
दफ़न मुर्दे मुस्कुरा देते हैं
मन ही मन
खिल रहा वो दृश्य था
जो मिट रहा वो शरीर
अँधेरा घुल जाता है बाग़ में
और हवा दुपट्टों के खिलाफ बहती है
एक गंध सी फ़ैल जाती हैं
लड़कियों के जिस्म से सस्ते डियोज़ की
इस शहर का सारा प्रेम
सरक जाता है सेमिनरी हिल्स की तरफ़।