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अरे साहेब! '''एक मुकद्दमा तो उस शहर पर भी बनता है'''जो हत्यारा है– सरसों में प्रेमी आँख-मिचौलियों का और उस उस मोबाइल को भी घेरना है कटघरे में जो लुटेरा है– सरसों सी लिपटती हँसी-ठिठोलियों का हाँ- उस एयर कंडीशन की भी रिपोर्ट लिखवानी हैजो अपहरणकर्त्ता है- गीत गाती पनिहारन सहेलियों काऔर उस मोबाइल को भी सीखचों में धकेलना हैजो डकैत है- फुसफुसाते होंठों-चुम्बन-अठखेलियों का उस विकास को भी थाने में कुछ घंटे तो बिठाना हैजिसने गला घोंटा; बासंती गेहूं-जौ-सरसों की बालियों का;लेकिन इनका वकील खुद ही रिश्वत ले बैठा हैफीस इनसे लेता है; और पैरोकार है शहर की गलियों काओ साहेब! आपकी अदालत में पेशी है इन सबकी कुछ तो हिसाब दो -उन मारी गयी मीठी मटर की फलियों का -0-
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