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"नभगंगा / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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| + | झील में डुबकियाँ | ||
| + | खूब नहाए। | ||
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| + | नीलम -प्याला  | ||
| + | सोमरस माँगता  | ||
| + | रोज चाँद से । | ||
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| + | पाखी चहके  | ||
| + | नभ हुआ मुखर | ||
| + | सन्ध्या-वन्दन । | ||
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| + | फैला गगन | ||
| + | चीलें मार झपट्टा  | ||
| + | कबड्डी खेलें। | ||
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| + | बाहें फैलाए  | ||
| + | है व्याकुल अम्बर  | ||
| + | मेघ न आए । | ||
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| + | भरें कुलाँचे  | ||
| + | न थकें तनिक भी  | ||
| + | मेघा-हिरना । | ||
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| + | मेघों के हाथी | ||
| + | चिंघाड़ें टकराएँ  | ||
| + | अम्बर काँपे । | ||
| + | 24 | ||
| + | व्योम अखाड़े  | ||
| + | ढोल तिड़क-धुम्म  | ||
| + | मेघों की कुश्ती । | ||
| + | 25 | ||
| + | सबको देखे  | ||
| + | छुप-छुप करके   | ||
| + | लम्पट नभ । | ||
| + | 26 | ||
| + | उड़ा ले गई  | ||
| + | अधूरे रिश्ते- नाते  | ||
| + | बहकी हवा । | ||
| + | 27 | ||
| + | उमड़े आँसू  | ||
| + | पोंछकर चल दी | ||
| + | सहेली हवा । | ||
| + | 28 | ||
| + | कहती हवा | ||
| + | नहीं कोई पराया | ||
| + | बहते चलो। | ||
| + | 29 | ||
| + | चंचल हवा | ||
| + | मरोड़े टहनियाँ  | ||
| + | छेड़ती गाछ । | ||
| + | 30 | ||
| + | छूकर तन | ||
| + | दे गई  थी  पवन  | ||
| + | उनकी पाती। | ||
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07:39, 8 सितम्बर 2019 के समय का अवतरण
16
नभगंगा की 
माँग भरके  खिला 
 दूल्हा -गगन ।
17
नीलम नभ 
झील में डुबकियाँ
खूब नहाए।
18
नीलम -प्याला 
सोमरस माँगता 
रोज चाँद से ।
19
पाखी चहके 
नभ हुआ मुखर
सन्ध्या-वन्दन ।
20
फैला गगन
चीलें मार झपट्टा 
कबड्डी खेलें।
21
बाहें फैलाए 
है व्याकुल अम्बर 
मेघ न आए ।
22
भरें कुलाँचे 
न थकें तनिक भी 
मेघा-हिरना ।
23
मेघों के हाथी
चिंघाड़ें टकराएँ 
अम्बर काँपे ।
24
व्योम अखाड़े 
ढोल तिड़क-धुम्म 
मेघों की कुश्ती ।
25
सबको देखे 
छुप-छुप करके  
लम्पट नभ ।
26
उड़ा ले गई 
अधूरे रिश्ते- नाते 
बहकी हवा ।
27
उमड़े आँसू 
पोंछकर चल दी
सहेली हवा ।
28
कहती हवा
नहीं कोई पराया
बहते चलो।
29
चंचल हवा
मरोड़े टहनियाँ 
छेड़ती गाछ ।
30
छूकर तन
दे गई  थी  पवन 
उनकी पाती।
 
	
	

