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"बन्द / अरुण चन्द्र रॉय" के अवतरणों में अंतर

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वे चाहते हैं  
 
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  होठ सिले रहें
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  होंठ सिले रहें
 
और बन्द हो जाएँ
 
और बन्द हो जाएँ
 
स्वर  
 
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बनाने को मुट्ठी
 
बनाने को मुट्ठी
 
जो उठे प्रतिरोध में
 
जो उठे प्रतिरोध में
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ठिठके रहे
 
ठिठके रहे
 
क़दम
 
क़दम

14:58, 26 सितम्बर 2019 के समय का अवतरण

वे चाहते हैं
 होंठ सिले रहें
और बन्द हो जाएँ
स्वर
ताकि न लगे कोई
नारा कभी
शासन के विरुद्ध
 
चाहते हैं वे
उँगलियाँ
न आएँ कभी साथ
बनाने को मुट्ठी
जो उठे प्रतिरोध में

ठिठके रहे
क़दम
एक ताल में
न उठे कभी
सदनों की ओर

वे चाहते हैं

छीन लेना
हक़ जीने का
विरोध जताने का ।