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"एक दिन मैं और तुम / प्रताप नारायण सिंह" के अवतरणों में अंतर

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बीच में कोई न हो  
 
बीच में कोई न हो  
  
खटकरम सब ज़िन्दगी के लुप्त हों  
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व्यस्तताएँ ज़िन्दगी की लुप्त हों  
 
कष्ट, चिंताएँ सभी ही सुप्त हों  
 
कष्ट, चिंताएँ सभी ही सुप्त हों  
  

15:56, 7 नवम्बर 2019 के समय का अवतरण

एक दिन
मैं और तुम, बस
बीच में कोई न हो

व्यस्तताएँ ज़िन्दगी की लुप्त हों
कष्ट, चिंताएँ सभी ही सुप्त हों

दृष्टि बाँधे
बस गदोरी 
गुदगुदाती तुम रहो

कोई आहट या प्रतीक्षा भी न हो
बाह्य जग की कोई इच्छा भी न हो

मैं कहूँ जो
तुम सुनो, बस
मैं सुनूँ जो तुम कहो

फूटता अंतः-क्षितिज से गीत हो
प्राण को जोड़े हृदय-संगीत हो

बाँह धर
तुममें बहूँ मैं
और तुम मुझमें बहो

हम झुलाएँ साँझ, दुपहर, भोर को
पालना कर पूर्व-पश्चिम छोर को

एक मैं
धर लूँ सिरा, और
एक तुम पकड़ी रहो