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"अहम ब्रह्मास्मि / लावण्या शाह" के अवतरणों में अंतर

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असीम अनन्त, व्योम, येही तो मेरी छत है!<br>
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असीम अनन्त, व्योम, यही तो मेरी छत है!<br>
समाहित तत्त्व सारे, निर्गुन का सस्थायी आवस<br>
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समाहित तत्त्व सारे, निर्गुण का स्थायी आवास<br>
 
हरी भरी धरती, विस्तरित, चतुर्दिक -<br>
 
हरी भरी धरती, विस्तरित, चतुर्दिक -<br>
येही तो है बिछोना, जो देता मुझे विश्राम !<br>
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यही तो है बिछोना, जो देता मुझे विश्राम !<br>
 
हर दीशा मेरा आवरण, पवन आभुषण -<br>
 
हर दीशा मेरा आवरण, पवन आभुषण -<br>
हर घर मेरा जहाँ पथ मुद जाता स्वतः मेरा <br>
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हर घर मेरा जहाँ पथ मुड जाता स्वतः मेरा, <br>
 
पथिक हूँ, हर डग की पदचाप -<br>
 
पथिक हूँ, हर डग की पदचाप -<br>
विकल मेरा हर श्वास तुमसे, आश्रय माँगता !<br><br>
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विकल मेरा हर श्वास, तुमसे, आश्रय माँगता !<br><br>

08:46, 3 अगस्त 2006 का अवतरण

लेखक: लावण्या शाह

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असीम अनन्त, व्योम, यही तो मेरी छत है!
समाहित तत्त्व सारे, निर्गुण का स्थायी आवास
हरी भरी धरती, विस्तरित, चतुर्दिक -
यही तो है बिछोना, जो देता मुझे विश्राम !
हर दीशा मेरा आवरण, पवन आभुषण -
हर घर मेरा जहाँ पथ मुड जाता स्वतः मेरा,
पथिक हूँ, हर डग की पदचाप -
विकल मेरा हर श्वास, तुमसे, आश्रय माँगता !