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"शांति-लोक / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर

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00:02, 29 अगस्त 2008 के समय का अवतरण


युद्ध की उद्वेग की अब
त्रस्त घड़ियाँ जा रही हैं !

सकल दुनिया आज उत्सुक
स्नेह से भर नयन दीपक
गर्म स्वागत के लिए ही गीत मीठा गा रही है !

आ रहे सुख के बड़े दिन
आ रहा नव मुक्त-जीवन
आज तो युग-कोकिला मधुमास भू पर ला रही है !
1944