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"लंच बॉक्स / बालस्वरूप राही" के अवतरणों में अंतर

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<poem>
 
मम्मी, छोड़ो लाड़-दुलार,
 
लंच बॉक्स कर दो तैयार।
 
सब्जी खूब मसालेदार,
 
गरम पूरियाँ पूरी चार।
 
  
पापड़ हो जाता बेकार,
 
रख दो चटनी और आचार।
 
क्यों देतीं केला हर बार,
 
मम्मी, रखना आज अनार।
 
</poem>
 

23:16, 23 जनवरी 2020 का अवतरण