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"यह ऋतु मधुमास की / गरिमा सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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छा गई है | छा गई है | ||
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गुनगुनाती धूप भी अब | गुनगुनाती धूप भी अब | ||
कर रही जादू | कर रही जादू | ||
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− | + | देख ऋतु मधुमास की | |
खेत में फिर | खेत में फिर | ||
− | दलहनी की फसल | + | दलहनी की फसल कैलाई |
और झूमे पात-डाली | और झूमे पात-डाली | ||
मस्त पुरवाई | मस्त पुरवाई | ||
हर तरफ हो रही हलचल | हर तरफ हो रही हलचल | ||
− | + | देख ऋतु मधुमास की | |
महक महुए की | महक महुए की | ||
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प्रेममय मौसम हठीला सा | प्रेममय मौसम हठीला सा | ||
प्रिय-मिलन को हृदय विह्वल | प्रिय-मिलन को हृदय विह्वल | ||
− | + | देख ऋतु मधुमास की | |
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20:34, 30 जनवरी 2020 के समय का अवतरण
फूट आईं नई कोंपल
देख ऋतु मधुमास की
छा गई है
फूल, फल आनंद की खुशबू
गुनगुनाती धूप भी अब
कर रही जादू
कूकने है लगी कोयल
देख ऋतु मधुमास की
खेत में फिर
दलहनी की फसल कैलाई
और झूमे पात-डाली
मस्त पुरवाई
हर तरफ हो रही हलचल
देख ऋतु मधुमास की
महक महुए की
करें मन को नशीला-सा
हो गया है
प्रेममय मौसम हठीला सा
प्रिय-मिलन को हृदय विह्वल
देख ऋतु मधुमास की