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यह ऋतु मधुमास की / गरिमा सक्सेना
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15:04, 30 जनवरी 2020
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<poem>
फूट
आई
आईं
नई कोंपल
देख ऋतु मधुमास की
कर रही जादू
कूकने है लगी कोयल
यह
देख
ऋतु मधुमास की
खेत में फिर
दलहनी की फसल
लहराई
कैलाई
और झूमे पात-डाली
मस्त पुरवाई
हर तरफ हो रही हलचल
यह
देख
ऋतु मधुमास की
महक महुए की
प्रेममय मौसम हठीला सा
प्रिय-मिलन को हृदय विह्वल
यह
देख
ऋतु मधुमास की
</poem>
Rahul Shivay
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