भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गजल रो रही / हरेराम बाजपेयी 'आश'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरेराम बाजपेयी 'आश' |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
|संग्रह=बिना किसी फ़र्क के / हरेराम बाजपेयी 'आश'
 
|संग्रह=बिना किसी फ़र्क के / हरेराम बाजपेयी 'आश'
 
}}
 
}}
{{KKCatGeet}}
+
{{KKCatGhazal}}
 
<poem>
 
<poem>
 
अल्लाह को प्यारा मोहम्मद हो गया हैं,  
 
अल्लाह को प्यारा मोहम्मद हो गया हैं,  

22:45, 13 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण

अल्लाह को प्यारा मोहम्मद हो गया हैं,
स्वरों का सहारा, रफी खो गया है।

लाखों दिलों को धड़कने जिसने दी थी।
उसकी धड़कने रुकीं क्या गज़ब हो गया हैं।

दुआओं के दीपक तूफानों में बुझ गए,
रोशनी थी जहाँ, अब धुआँ हो गया है।

गजल रो रही, गीत गुमसुम हैं बैठे,
रफी अब नहीं है, पर अमर हो गया है॥