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"होगा फिर से मन में विहान / राहुल शिवाय" के अवतरणों में अंतर
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− | होगा फिर से मन में | + | होगा फिर से मन में विहान। |
जीवन की अंधी राहों में | जीवन की अंधी राहों में | ||
− | जो सपने थे वे | + | जो सपने थे वे राख हुए, |
विधि की निष्ठुर झंझाओं में | विधि की निष्ठुर झंझाओं में | ||
− | + | सुख सारे ही बे-साख हुए। | |
− | लेकिन | + | |
+ | लेकिन हृद मत होना अधीर | ||
गाते रहना तुम मधुर गान। | गाते रहना तुम मधुर गान। | ||
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है प्रेम-हीन अंतर उजड़ा | है प्रेम-हीन अंतर उजड़ा | ||
एकाकीपन की छाया है, | एकाकीपन की छाया है, | ||
− | + | हृद में उद्वेलित पीड़ा है | |
मन नेह-कुसुम मुरझाया है। | मन नेह-कुसुम मुरझाया है। | ||
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लेकिन पतझर बीतेगा कल | लेकिन पतझर बीतेगा कल | ||
छेड़ेगी कोयल पुनः तान। | छेड़ेगी कोयल पुनः तान। | ||
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माना रूठा है प्रेमिल-मन | माना रूठा है प्रेमिल-मन | ||
सूनी परिणय-पथ पर डोली, | सूनी परिणय-पथ पर डोली, | ||
− | जिसने था मुझसे प्यार किया | + | जिसने था मुझसे प्यार किया |
उसके बिन रिक्त हुई झोली। | उसके बिन रिक्त हुई झोली। | ||
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लेकिन कल वह फिर आएगी | लेकिन कल वह फिर आएगी | ||
− | पायेगा | + | पायेगा हृद यह पुनः मान। |
− | + | ||
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16:41, 18 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण
होगा फिर से मन में विहान।
जीवन की अंधी राहों में
जो सपने थे वे राख हुए,
विधि की निष्ठुर झंझाओं में
सुख सारे ही बे-साख हुए।
लेकिन हृद मत होना अधीर
गाते रहना तुम मधुर गान।
है प्रेम-हीन अंतर उजड़ा
एकाकीपन की छाया है,
हृद में उद्वेलित पीड़ा है
मन नेह-कुसुम मुरझाया है।
लेकिन पतझर बीतेगा कल
छेड़ेगी कोयल पुनः तान।
माना रूठा है प्रेमिल-मन
सूनी परिणय-पथ पर डोली,
जिसने था मुझसे प्यार किया
उसके बिन रिक्त हुई झोली।
लेकिन कल वह फिर आएगी
पायेगा हृद यह पुनः मान।