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"इस सुकूते फ़िज़ा में खो जाएं / फ़िराक़ गोरखपुरी" के अवतरणों में अंतर
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22:54, 3 मार्च 2020 का अवतरण
इस सुकूते फ़िज़ा में खो जाएं
आसमानों के राज हो जाएं
हाल सबका जुदा-जुदा ही सही
किस पॅ हँस जाएं किस पॅ रो जाएं
राह में आने वाली नस्लों के
ख़ैर कांटे तो हम न बो जाएं
ज़िन्दगी क्या है आज इसे ऐ दोस्त
सोच लें और उदास हो जाएं
रात आयी फ़िराक दोस्तो नहीं
किससे कहिए कि आओ सो जाएं