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"मुआवज़ा / दीपाली अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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15:29, 20 मार्च 2020 के समय का अवतरण

 हर सुबह के साथ बेतरतीब जगा
फिर दोपहर और शाम खूब दौड़ाती है
कि मेरी रोज़ की तो तनख्वाह तुम मत पूछो
ये ज़िंदग़ी मुझे मुआवज़े में रात दे जाती है